प्रकाश रघुवंशी, वाराणसी के साधारण किसान हैं। परन्तु आज वे देशभर के किसानों के लिए एक ऐसा कार्य कर रहे हैं जो पिछले 60 वर्षों में न तो सरकार कर पाई और न ही किसी कृषि विश्वविद्यालय ने किया। प्रकाश रघुवंशी ने गेहूं की 80, अरहर की 10, धान की 25, सरसों, भिण्डी, पपीता, मूंग व मटर की आश्चर्यजनक प्रजातियों की खोज की है। वे इन प्रजातियों के बीजों को सम्पूर्ण भारत के किसानों में बांट रहे हैं ताकि देश का प्रत्येक किसान समृद्ध व शक्तिशाली हो। वह कर्ज के बोझ से बाहर निकले।
रघुवंशी की हार्दिक इच्छा है कि देश का प्रत्येक किसान स्वयं अपना बीज बनाना सीखे तथा बीज बनाकर अन्य किसानों में भी निःशुल्क वितरण करे। इस प्रकार किसान समाज प्रेम की माला में गुंथ जाए। उनका कहना है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी विचार था कि प्रत्येक देशवासी पहले स्वयं आत्मनिर्भर बने फिर देश को आत्मनिर्भर बनाए। अन्न स्वराज, जल स्वराज, बीज स्वराज, खादी स्वराज से घर-घर में स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा, यही बापू की इच्छा थी। पिछले दिनों श्रीप्रकाश रघुवंशी विश्व के प्रगतिशील किसानों, कृषि वैज्ञानिकों की अन्तरराष्ट्रीय एसोसिऐशन ‘स्लोफूड’द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी में भाग लेने के लिए इटली गए थे। वहां विश्व के प्रगतिशील किसानों व कृषि वैज्ञानिकों ने भी प्रकाश रघुवंशी की खोज को सराहा। ‘स्लोफूड’ने श्री रघुवंशी को अपना स्थाई सदस्य बनाया है।
प्रकाश रघुवंशी के शोध कार्य से भारत का एक बड़ा वर्ग वाकिफ है। श्री रघुवंशी के इस शोध कार्य के चर्चे भारत के छोटे-बड़े समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में भी आ चुके हैं। इसमें नई विकसित की गई ‘कुदरत’ व ‘करिश्मा’ नामक प्रजातियों की चर्चा है। रघुवंशी कहते हैं कि किसान मेरे खेत पर आएं और इन प्रजातियों के परिणाम देखें। किसानों को मैं स्वयं बीज बनाने का प्रशिक्षण भी दूंगा ताकि घर-घर में देशी बीज को चुन करके उन्नत बीज बनाया जा सके। किसानों का एक बीज बैंक हो। किसान परम्परागत कृषि अपनाएं।
वे स्वयं जैविक खाद बनाएं। इसी विषय पर ‘रघुवंशी बीज विद्यापीठ समिति’ देशव्यापी किसान सेवा कर रही है। अब तक 5 लाख किसान भाई देश के कोने-कोने में कुदरती प्रजातियों का परीक्षण एवं बीज उत्पादन कार्य कर रहे हैं। यह श्रेष्ठ व सर्वमान्य है। आज विश्व भर के कई कृषि वैज्ञानिक रासायनिक, कीटनाशक, हाइब्रिड सीड् व टर्मिनेटर सीड् से उत्पादित खाद्यान्न के दुष्परिणाम से चिंतित हैं। विश्वभर के जनमानस की एक ही आवाज उठ रही है कि अगर परम्परागत कृषि कार्य फिर से न अपनाए गये तो विश्व विनाश की ओर जा सकता है। इसलिये मैं चाहता हूं कि भारतीय कृषि व्यवस्था बिगड़ने न पाये और देश के कृषि उत्पादन में वृद्धि हो। किसान मजबूर होकर आत्महत्या न करें। भारत भूखमरी मुक्त देश बने। कुदरत की प्रजातियों से देशव्यापी लाभ हो।
रघुवंशी की हार्दिक इच्छा है कि देश का प्रत्येक किसान स्वयं अपना बीज बनाना सीखे तथा बीज बनाकर अन्य किसानों में भी निःशुल्क वितरण करे। इस प्रकार किसान समाज प्रेम की माला में गुंथ जाए। उनका कहना है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी विचार था कि प्रत्येक देशवासी पहले स्वयं आत्मनिर्भर बने फिर देश को आत्मनिर्भर बनाए। अन्न स्वराज, जल स्वराज, बीज स्वराज, खादी स्वराज से घर-घर में स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा, यही बापू की इच्छा थी। पिछले दिनों श्रीप्रकाश रघुवंशी विश्व के प्रगतिशील किसानों, कृषि वैज्ञानिकों की अन्तरराष्ट्रीय एसोसिऐशन ‘स्लोफूड’द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी में भाग लेने के लिए इटली गए थे। वहां विश्व के प्रगतिशील किसानों व कृषि वैज्ञानिकों ने भी प्रकाश रघुवंशी की खोज को सराहा। ‘स्लोफूड’ने श्री रघुवंशी को अपना स्थाई सदस्य बनाया है।
प्रकाश रघुवंशी के शोध कार्य से भारत का एक बड़ा वर्ग वाकिफ है। श्री रघुवंशी के इस शोध कार्य के चर्चे भारत के छोटे-बड़े समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में भी आ चुके हैं। इसमें नई विकसित की गई ‘कुदरत’ व ‘करिश्मा’ नामक प्रजातियों की चर्चा है। रघुवंशी कहते हैं कि किसान मेरे खेत पर आएं और इन प्रजातियों के परिणाम देखें। किसानों को मैं स्वयं बीज बनाने का प्रशिक्षण भी दूंगा ताकि घर-घर में देशी बीज को चुन करके उन्नत बीज बनाया जा सके। किसानों का एक बीज बैंक हो। किसान परम्परागत कृषि अपनाएं।
वे स्वयं जैविक खाद बनाएं। इसी विषय पर ‘रघुवंशी बीज विद्यापीठ समिति’ देशव्यापी किसान सेवा कर रही है। अब तक 5 लाख किसान भाई देश के कोने-कोने में कुदरती प्रजातियों का परीक्षण एवं बीज उत्पादन कार्य कर रहे हैं। यह श्रेष्ठ व सर्वमान्य है। आज विश्व भर के कई कृषि वैज्ञानिक रासायनिक, कीटनाशक, हाइब्रिड सीड् व टर्मिनेटर सीड् से उत्पादित खाद्यान्न के दुष्परिणाम से चिंतित हैं। विश्वभर के जनमानस की एक ही आवाज उठ रही है कि अगर परम्परागत कृषि कार्य फिर से न अपनाए गये तो विश्व विनाश की ओर जा सकता है। इसलिये मैं चाहता हूं कि भारतीय कृषि व्यवस्था बिगड़ने न पाये और देश के कृषि उत्पादन में वृद्धि हो। किसान मजबूर होकर आत्महत्या न करें। भारत भूखमरी मुक्त देश बने। कुदरत की प्रजातियों से देशव्यापी लाभ हो।